It was my first poem, wrote it in year 2000. This poem expresses my thoughts for life.The true meaning of life is still hidden but based on my experiences I wrote this poem.
"जिन्दगी"
रात के उस ख्वाब में मैंने खुद को एक झील के किनारे पाया ,
शायद एक जन्नत में पहुँच गयी थी |
फूलो से भरी वहां बगिया महक रही थी ,
फिर में एक सुनहरी कश्ती में बैठ उसे खेने लगी ,
और उस झील के गहराई को महसूस करने लगी|
वहां के परिंदे और भवरे सुरीले साज छेड़ रहे थे,
वो हर पल खूबसूरत याद बन दिल में समां रहा था ||
पर शायद वो ख्वाब जिंदगानी की हकीकत बता गया ,
कुछ आगे जाकर वो झील झरना बन गयी,
मेरी कश्ती उन्ही गहराईयो में खो गयी,
मुझे होश कब आया ,कुछ याद नही आता ,
पर मैंने खुद को कुछ चट्टानों में पाया |
पल भर में खूबसूरत लम्हे खौफनाक बन गए ,
मैंने खुद को संभाला और उठ खड़ी हुई |
और जिन्दगी के उस मोड़ पर पहुंची ,
जहाँ मैं इसकी सचाई से वाकिफ हुई ....
जिन्दगी हर मोड़ पर खूबसूरत हो ये जरूरी नही ,
और इसकी हर रह पथरीली हो ऐसा भी नही |
हर एक ख़ुशी - गम बिना अधूरी है ,
और बिना ख़ुशी -गम के जिन्दगी भी अधूरी है...
ये ख़ुशी -गम दोनों एक दुसरे के सच्चे है साथी ,
जो जिन्दगी की सुनहरी कश्ती को एक साथ मिलकर खेते है,
और हमे अपनी मंजिल तक पहुंचाते है ||
गार्गी (२००० )
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