क्या सोच के दी उन वीरो ने क़ुरबानी !
भारत देश के भविष्य के लिए लूटा दी अपनी जवानी |
लहरे तिरंगा आज़ाद वतन में ...
था सिर्फ एक सपना उन वीरो के मन में |
करते अफ़सोस अगर होते भगत सिंह,
रोते ये हाल देख चन्द्र शेखर और बिस्मिल...
इतिहास के पन्ने पलट कर ये देखो...
सोचो क्यों दी थी उन वीरो ने क़ुरबानी...
क्या सही मायने में है हम आज़ाद...
या है कैदी भ्रष्ट राजनीति के आज...
सच्चाई यहाँ दबती , झूठ लेता है सांस...
दफ़न होती है अच्छाई, हँसता सिर्फ पाप...
होते करोड़ो के घोटाले, फिर भी भूखे सड़कों पर लोग है...
गुन्हा , भ्रष्टाचार से बढ़ रहा है भारत...
क्या ऐसी आज़ादी की थी बापू की कल्पना ...
क्या सच में है ये आज़ाद भारत....
आज वक्त आया है फिर से दोबारा.
हर युवक लगा रहा संग नारा...
भूल जाओ अब सब है और कोई काम..
दो साथ अन्ना का , जिसने थामा है हाथ..
भगादो आज मिल भ्रष्टाचार सारा...
करदो इस देश को फिर से आज़ाद ||
गार्गी (२०११)